विविधता की समझ

 



पाठ्य 1 – विविधता की समझ

  • गरीबी और अमीरी विविधता का रूप नहीं हैं।
  • खान-पान, पहनावा, धर्म, भाषा आदि ये भिन्नताएँ विविधता के पहलू है।
  • जाति-व्यवस्था असमानता का एक और उदाहरण है।
  • पहले कोई भी व्यक्ति जाति से जुड़ा पेशा भी नहीं बदल सकता था, इसलिए उस ज्ञान के अलावा कोई अन्य ज्ञान को हासिल करना जरूरी नहीं समझा जाता था।
  • इससे गैर-बराबरी पैदा हुयी।

भारत में विविधता

  • भारत विविधताओं का देश है। हम विभिन्न भाषाएँ बोलते हैं।
  • विभिन्न प्रकार का खाना खाते हैं।
  • अलग-अलग त्योहार मनाते हैं और भिन्न-भिन्न धर्मों का पालन करते हैं।

विविधताओं को कैसे समझें

  • लोग अक्सर अपने कमियों/ आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक जगह से दूसरे जगह जाना पसंद करते थे। कोई बसने के लिए तो कोई खेती के लिए तथा नयी जमीन के लिए जो उनके लिए फायदेमंद हो। जिससे की वो व्यापार कर सकें।
  • जब वो दूर चले जाते थे तो वे अपने संस्कृति, समाज से बिलकुल अलग हो जाते थे और वो दूसरे संस्कृति के बारे में जानने लग गए थे।
  • इसका मतलब हुआ कि लोग अपने खान-पान और इक्षाओं कि पूर्ति के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाना पसंद करते थे।
  • ऐसा आज भी लोग करते हैं।
  • अपनी संस्कृति और नई जगह कि संस्कृति में आदान-प्रदान होने से एक नई मिश्रित संस्कृति पैदा होने लगती है।
  • भौतिक वातावरण से भी लोग में विविधता उत्पन्न होने लगती हैं।
  • लद्दाख तथा केरल के लोगों के खान-पान, पहनावा, संस्कृति भी विभिन्न है। लद्दाख व्यापार का एक अभिन्न हिस्सा रहा। यहाँ सबसे पहले तिब्बत के लोग आए थे
  • वो लद्दाख के रास्ते ही बौध धर्म तिब्बत पहुँचा।
  • लद्दाख को छोटा तिब्बत बोलते हैं क्योंकि पहनावा, समाज बराबर ही है।

विविधता के कारण

  • तिब्बत(उतरी भारत-ठंडी क्षेत्र) का ग्रंथ “केसर सगा” लद्दाख में काफी प्रचलित है।
  • उसे स्थानीय रूप को मुसलमान और बौध दोनों लोग हीं गाते हैं और नाटक खेलते हैं।
  • केरल(दक्षिणी-पश्चिमी कोने में बसा हुआ है, जो समुद्र से घिरा हुआ है तथा दूसरी तरफ पहाड़ियों से), जहां विविध प्रकार के मसाले जैसे काली मिर्च, लॉन्ग, इलायची इत्यादि उगाये जाते हैं। यह व्यापारियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। यहूदी तथा अरबी लोग यहाँ आए थे।
  • ईसा मसीह के धर्मदूत संत थामस लगभग 2000 साल पहले यहाँ आए। ईसाई धर्म का भारत मे श्रेय इन्हीं को जाता है।
  • इब्न बातूता(मोरोको का था) लगभग 700 साल पहले आया और वृतांत में बताया कि भारत मे मुसलमान समाज का बहुत इजत है।
  • वास्कोडिगामा पानी के जहाज से भारत पहुंचे तो पुर्तगालियों ने युरोप से भारत तक का समुद्री रास्ता जाना।
  • इन सभी एतिहासिक प्रभावों के कारण केरल के लोग विभिन्न धर्मों का पालन करते हैं।
  • जिनमें यहूदी, इस्लाम, ईसाई, हिन्दू एवं बौध धर्म भी शामिल है।
  • चीन व्यापारी भी केरल आए और केरल में मछली पकड़ने के लिए जाल(चीनी वाला) अभी भी उपयोग किया जाता है। और जो मछली तलने के लिए बर्तन उपयोग करते हैं उसे “चिनाचट्टी” कहते हैं।
  • केरल कि उपजाऊ मिट्टी जलवायु के कारण चावल की खेती उपयुक्त है और लोग मछली, सब्जी और चावल खाते हैं।
  • हमने यहाँ देखा कि किसी भी क्षेत्र के सांस्कृतिक जीवन का उसके इतिहास और भूगोल से गहरा रिस्ता होता है। हर एक कदम के साथ-साथ हमारे सांस्कृतिक रीति-रिवाज और जीने का तरीका धीरे-धीरे उस नए क्षेत्र का हिस्सा बन जाता है, जहां हम पाहुचते हैं।

विविधता में एकता

  • भारत कि विविधता को उसकी ताकत का स्रोत माना जाता है।
  • अंग्रेजों ने इसका फायदा उठाना चाहा लेकिन वो सफल न हो पाये और उन्हें भारत छोडकर जाना पड़ा।
  • जवाहर लाल नेहरू ने अपने किताब “भारत कि खोज” में लिखा है कि भारतीय एकता कोई बाहर से थोपी हुयी चीज नहीं है बल्कि “यह बहुत ही गहरी है जिसके अंदर अलग-अलग तरह के विश्वास और प्रथाओं को स्वीकार करने कि भावना है। इसमें विविधता को पहचाना और प्रोत्साहित किया जाता है।“
  • रवीन्द्रनाथ द्वारा रचित हमारा राष्ट्रज्ञान भी भारतीय एकता कि एक अभिव्यक्ति हैं।


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