विविधता एवं भेदभाव

 



पाठ 2 – विविधता एवं भेदभाव

  • हम कैसे रहते हैं, कैसी भाषा बोलते हैं, क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कौन से खेल खेलते हैं और कौन से उत्सव मनाते हैं ।
  • इन सब पर हमारे रहने की जगह के भूगोल और उसके इतिहास का असर पड़ता है।
  • संसार में 8 मुख्य धर्म(हिन्दू, जैन, यहूदी, पारसी, बौध, ईसाई, इस्लाम, सीख) है। भारत मे उन 8 धर्मों के मानने वाले (अनुयायी) लोग है।
  • यहाँ लगभग 1600 से ज्यादा भाषाएँ बोली जाती है और 100 से ज्यादा नृत्य है।
  • ऐसी विविधता कभी-कभी दुख का कारण बन जाती है।
  • पहले से हीं अपने मन में धारणा बना लेना कि गाँव के लोग ऐसा है, शहर के लोग वैसा है।
  • कुछ लोग गाँव के लोग को अज्ञानी कि तरह देखते हैं जबकि शहर के लोगों को आलसी एवं पैसे कि सरोकार रखने वाले कि तरह देखते हैं।
  • जब हम किसी के बारे में पहले से कोई राय बना लेते हैं और उसे हम अपने दिमाग में बैठा लेते हैं तो वह पूर्वाग्रह का रूप ले लेती है।
  • ज़्यादातर यह राय नकारात्मक होती है।

लड़के-लड़की में भेद-भाव

  • रूढ़िबद्ध धारणायेँ बनाना – जब हम सभी लोगों को एक हीं छवि में बांध देते हैं या उनके बारे में पक्की धारणा बना लेते हैं तो उसे रूढ़िबद्ध धारणा कहते हैं।

                                          इस प्रकार की धारणायेँ प्रत्येक इंसान को एक अनोखे व अलग व्यक्ति की तरह देखने से रोकती है।

हम नहीं देख पाते हैं कि उस व्यक्ति के अपने कुछ खास गुण व क्षमताएं हैंजो दूसरों से अलग करती है। 

  • असमानताएँ एवं भेदभाव – हमलोग प्रायः जानते हैं कि आखिर भेदभाव क्यों होता है। जब लोग पूर्वाग्रह या रूढ़िबद्ध धारणाओं के आधार पर किसी से व्यवहार करने लगते हैं तो वहाँ भेदभाव तथा असमानता देखने को मिलता है।
  • कुछ लोगों को विविधता और असमानता पर आधारित दोनों ही तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है
  • दलित वह शब्द है जो नीची कही जाने वाली जाति के लोग अपनी पहचान के रूप मे इस्तेमाल करते हैं। दलित का मतलब है “कुचला गया या दबाया गया”। सरकार ऐसे लोगों को “अनुसूचित जाति” के वर्ग में रखती है।


डॉक्टर भीम राव अंबेडकर (1891 -1956)

  • भारतीय संविधान के पिता एवं दलितों के सबसे बड़े नेता थे।
  • उनका महार जाति में जन्म हुआ था जो अछूत मानी जाती है।
  • बाबा अपनी जाति के पहले व्यक्ति थे जो अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की और वकील बनने के लिए इंग्लैंड गए।
  • दलितों को अलग-अलग तरह की सरकारी नौकरी करने को कहा ताकि वे जाति-व्यवस्था से बाहर निकाल पाये।
  • दलितों को मंदिरों में प्रवेश के लिए प्रयास करवा रहे थे (2 मार्च 1930) और नेतृत्व किए लेकिन बाद में इन्होने 14 October 1936 को 3.5 लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया।

समानता के लिए संघर्ष

  • नौकरियाँ सभी लोगों के लिए खुली हुयी है। इन सबके अलावा संविधान ने सरकार पर यह विशेष ज़िम्मेदारी डाली की गरीबों और मुख्यधारा से अलग-थलग पद गए समुदाय को इस समानता का अधिकार के फायदे दिलवाने के लिए विशेष कदम उठाए।

                        लेकिन अभी तक भी पूर्ण रूप से अभी रूढ़िवादी के चलते न्याय नहीं मिला।

समानता वह मूल्य है जिसके लिए हमें निरंतर संघर्ष करते रहना होगा।

  • भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ लोग बिना किसी भेदभाव के अपने धर्म का पालन करते हैं।
  • इसे हमारी एकता के महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा जाता है।


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