नगर प्रशासन

 



पाठ्य 7 – नगर प्रशासन

नगरनिगम

  • नगरनिगम एक बहुत ही बड़ी संस्था है, वह एक व्यक्ति नहीं है। यह सड़कों पर रोशनी की व्यवस्था, कुड्डा इकट्ठा करने, पानी की सुबिधा उपलब्ध कराने और सड़कों व बाज़ारों की सफाई का काम करती है।
  • इनकी स्वच्छता भी एक ज़िम्मेदारी है ताकि बीमारी न फैलें। ये स्कूल स्थापित करता है और उन्हे चलता है।
  • छोटे कस्बों में इसे नगरपालिका कहते हैं।

निगम पार्षद एवं प्रशासनिक कर्मचारी

  • ज़्यादातर निगम पार्षद हीं निर्णय लेते हैं कि अस्पताल या पार्क कहाँ बनेगा।
  • शहर को अलग-अलग वार्डों में बाँटा जाता है और हर वार्ड से एक पार्षद का चुनाव होता है।
  • कुछ पार्षद मिलकर समितियाँ बनाते हैं जो विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करके निर्णय लेती है।
  • बस स्टैंड को बेहतर या नाली कि सफाई इत्यादि।
  • जब एक वार्ड के अंदर की समस्या होती है तो वार्ड के लोग पार्षद से संपर्क कर सकते है। जैसे बिजली के तार लटक कर नीचे आ जाएँ तो स्थानीय पार्षद बिजली विभाग के अधिकारियों से मदद ले सकते हैं।
  • जहां पार्षदों की समितियाँ एवं पार्षद विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेने का काम करते हैं ।
  • वहीं उन्हें लागू करने का काम आयुक्त(कमिश्नर) और प्रशासनिक कर्मचारी करते हैं।
  • आयुक्त और प्रशासनिक कर्मचारी, सरकार द्वारा नियुक्त होती है जबकि पार्षद निर्वाचित होते हैं।
  • सभी वार्डों के पार्षद मिलते हैं और सबकी राय से एक बजट बनाया जाता है।
  • उसी बजट के अनुसार पैसा खर्च किया जाता है।
  • पार्षद यह प्रयास करते हैं कि उन्हें वार्ड की विशिष्ट जरूरतें परिषद के सामने रखी जा सके।
  • फिर ये निर्णय परिषद के कर्मचारियों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
  • शहर में काम को अलग-अलग विभागों में बाँट देते हैं जैसे जल-विभाग, कचरा जमा करने का विभाग, उद्यानों, सड़क-व्यवस्था का विभाग इत्यादि।

नगर निगम को पैसे कहाँ से मिलते हैं?

  • टैक्स से आता है जैसे घर या संपति(25-30%) का टैक्स, सिनेमा से, होटल के मालिक से इत्यादि।

लोगों का विरोध

  • कचरा साफ नहीं होता तो लोग विरोध करते हैं।
  • लोग आयुक्त के पास जाते हैं पार्षद की मदद से ।
  • और वहाँ समस्या का समाधान किया जाता है।
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