गाँव का प्रशासन

 



पाठ 6 – गाँव का प्रशासन

  • भारत में 6 लाख से अधिक गाँव है।
  • उनके लिए पानी, बिजली, सड़क, ज़मीनों के दस्तावेजों को रखरखाव का काम करना होता है या उस विवादों को निपटाने के लिए गाँव का प्रशासनिक ढाँचा होता है।
  • हर पुलिस थाने का एक कार्य क्षेत्र होता है जो उसके नियंत्रण मे रहता है।
  • लोग उस क्षेत्र मे हुयी चोरी, दुर्घटना, मारपीट, झगड़े आदि की रिपोर्ट उसी थाने में लिखवाते हैं, जो उस थानेदार(थाने की प्रमुख) की ज़िम्मेदारी होती है कि वो समस्याओं को सुलझाये।

राजस्व विभाग का काम

  • जमीन को नापना और उसका रेकॉर्ड रखना, पटवारी या राज्यसभा का मुख्य काम होता है। अलग-अलग राज्यों में इन्हे अलग-अलग नामों से जाना जाता है – कहीं पटवारी, कहीं लेखपाल, कहीं कर्मचारी, कहीं ग्रामीण अधिकारी तो कहीं कानूनगो कहते हैं।
  • आमतौर पर पटवारियों के पास खेत नापने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कुछ जगहों पर एक लंबी लोहे कि जंजीरों का इस्तेमाल करते हैं जिसे जरीब कहते हैं। अब इसे सरकार ने Online कर दिया है।
  • पटवारी किसानों से भूमि कर भी इकट्ठा करता है और सरकार को अपने क्षेत्र में उगने वाली फसलों के बारे में जानकारी देता है।
  • किसान कई बार फसल बदल देते हैं, कुछ और उगाने लगते हैं या कुआँ कहीं खोद लेते हैं। इसका रखरखाव सरकार के राजस्व विभाग का काम होता है।
  • भारत में सभी राज्य जिलों में बंटे हुये हैं। जिलों को और भी छोटे-छोटे खंडों में बाँट दिया जाता है। जिलों के उपखंडों को कई नामों से जाना जाता है। जैसे तालुका, तहसील इत्यादि।
  • सबसे ऊपर जिला अधिकारी होता है, उसके बाद तहसीलदार। उन्हें विभिन्न मामलों को निपटाना होता है और तहसीलदार पटवारी के काम का निरीक्षण करते हैं। और सुनिश्चित करते हैं कि रिकॉर्ड सही ढंग से रखे जाएँ और राजस्व(विभिन्न तरह के कर) इकट्ठा होते रहे।
  • तहसीलदार विद्यार्थियों को जाति प्रमाण पत्र भी बनवाता है और दफ्तर में जमीन से जुड़े मामलों को भी सुना जाता है।

एक नया कानून(हिन्दू अधिनियम धारा 2005)

  • अभी तक कई राज्यों में हिन्दू औरतों को परिवार की जमीन में हिस्सा नहीं मिलती थी। ये मुस्लिमों में नहीं उपयुक्त है।
  • अब हांलांकी हिन्दू में महिलाओं या लड़कियों का अपने पिता के जमीन में जायदाद मिलता है।


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